कब ये धरती और कब अंबर बचाना चाहती है

01-10-2023

कब ये धरती और कब अंबर बचाना चाहती है

अश्विनी कुमार त्रिपाठी (अंक: 238, अक्टूबर प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

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कब ये धरती और कब अंबर बचाना चाहती है 
शाइरी इंसान का तेवर बचाना चाहती है 
 
शब्दजालों के लिए कुछ वर्ण चुनती मकड़ियों से 
वर्णमाला प्रेम के आखर बचाना चाहती है 
 
वो जवानी और थी जो सर कटाना चाहती थी 
यह जवानी सिर्फ़ अपना सर बचाना चाहती है
 
अनगिनत अपनों ने चाहा घर को मेरे तोड़ देना 
माँ मगर हर हाल में यह घर बचाना चाहती है 
 
जो कि आँसू बन के बहने के लिए बेताब से हैं 
आँख मेरी वो हसीं मंज़र बचाना चाहती है 
 
यह ग़ज़ब की बात है डरती है वो भी आदमी से 
पर सियासत आदमी में डर बचाना चाहती है 

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