हवा के साथ मिलकर पंछियों के पर को ले डूबा 

15-09-2023

हवा के साथ मिलकर पंछियों के पर को ले डूबा 

अश्विनी कुमार त्रिपाठी (अंक: 237, सितम्बर द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

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हवा के साथ मिलकर पंछियों के पर को ले डूबा 
तरक़्क़ी का धुआँ धरती तो क्या अंबर को ले डूबा 
 
सभी को छोड़कर पीछे हमें आगे निकलना था 
जुनूँ आगे निकलने का ज़माने भर को ले डूबा 
 
तभी से ही न कोई सूर मीरा जायसी जन्मा 
बदलता दौर जबसे प्रेम के आखर को ले डूबा 
 
जिसे ख़ुद को मिटाकर भी बुज़ुर्गों ने सहेजा था 
कि बँटवारा हमारे गाँव के उस घर को ले डूबा 
 
ज़माने हो गए बदली नहीं अख़बार की फ़ितरत 
किसी का डर बढ़ाता है किसी के डर को ले डूबा 

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