बहुत होता सरल अपनी अना से दूर हो जाना

15-09-2023

बहुत होता सरल अपनी अना से दूर हो जाना

अश्विनी कुमार त्रिपाठी (अंक: 237, सितम्बर द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

1222        1222        1222        1222
 
बहुत होता सरल अपनी अना से दूर हो जाना  
अगर आता हमें रसखान मीराँ सूर हो जाना  
 
विफलताओं  ने तोड़े  हैं  सदा ही  दंभ के  पर्वत  
सफलताओं ने सिखलाया हमें मग़रूर हो जाना 
 
पसीने पर तुम्हारे जिसने अपना खूँ बहाया है  
भुला देगा उसे इक दिन तेरा मशहूर हो जाना  
 
हँसी देखी  लबों की पर  कभी ना  देख पाए वो  
मेरे दिल पर बने इक ज़ख्म का नासूर हो जाना  
 
मुहब्बत  में कभी ना हाथ  अपना  आज़माएँ वे  
जिन्हें बर्दाश्त ना होगा बिखरकर चूर हो जाना 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें