जो चिंतनशील थे इस देश के हालात को लेकर
अश्विनी कुमार त्रिपाठी1222 1222 1222 1222
जो चिंतनशील थे इस देश के हालात को लेकर
झगड़ बैठे वही आपस में अपनी ज़ात को लेकर
वो सारे लोग भी दो गज़ ज़मीं में ही दफ़न होंगे
वहम पाले हुए हैं जो मेरी औक़ात को लेकर
ज़रा सा भी तो खारापन नहीं देता है बादल को
समंदर ख़ुश है नदियों से मिली सौग़ात को लेकर
वे अपनी जीत पर उतने जियादा ख़ुश नहीं दिखते
बड़े ख़ुश दिख रहे हैं जो हमारी मात को लेकर
मेरी बरसात पर लिक्खी ग़ज़ल को दाद क्या देता
डरा सहमा हुआ था जो कृषक बरसात को लेकर
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