हमेशा दोष मेरा ही रहा है
मानोशी चैटर्जीमफ़ाईलुन मफ़ाईलुन फऊलुन
हमेशा दोष मेरा ही रहा है
मुझे भी अब यक़ीं होने लगा है
मैं उसकी इक ज़रूरत भर रही हूँ
मगर मेरी वो आदत बन गया है
खुदा के वास्ते ही सब लड़े हैं
यही मुद्दा हमेशा से रहा है
पकाई माँ ने रोटी चाँद की फिर
वो बच्चा रो के भूखा सो गया है
जो बोले झूठ वो ही है सिकंदर
ज़माने में यही होता रहा है
कहाँ जा कर मिटाऊँ याद तेरी
तेरी यादों से हर कूचा भरा है