बादल
मानोशी चैटर्जीबरस गये
ये थोड़े से बादल
आज जी भर
कभी झरते
ये हल्के रिमझिम
कभी निर्झर
अधूरी गाथा
कहते छल से ये
चुप अधर
बात हमारी
पिया नहीं समझे
समझ कर
घन उमड़
आये घुमड़ कर
नैनों में फिर
बरस गये
तब काले बादल
आज जी भर।
बरस गये
ये थोड़े से बादल
आज जी भर
कभी झरते
ये हल्के रिमझिम
कभी निर्झर
अधूरी गाथा
कहते छल से ये
चुप अधर
बात हमारी
पिया नहीं समझे
समझ कर
घन उमड़
आये घुमड़ कर
नैनों में फिर
बरस गये
तब काले बादल
आज जी भर।