बिन बुलाए चुड़ैल

01-10-2023

बिन बुलाए चुड़ैल

डॉ. ऋतु शर्मा (अंक: 238, अक्टूबर प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

मूल डच लोककथा: हेक्सन  ज़ोन्दर आयुतनोदखिंग
अनुवादक: डॉ. ऋतु शर्मा

 

श्रीमान माईरमन एक लेखक थे। वह बहुत समय से बौनों और चुड़ैलों पर कहानियाँ लिख रहे थे। उनकी कहानियों की चर्चा गाँव से लेकर शहर तक होती थी। उनकी कहानियों की सबसे ज़्यादा प्रशंसक थी उनकी बिल्ली ‘विप’। श्रीमान माईरमन जैसे ही कोई नई कहानी लिखते सबसे पहले वह अपनी बिल्ली विप को पढ़ कर सुनाया करते थे। विप को हमेशा लगता था कि श्रीमान माईरमन कभी कोई झूठी कहानी नहीं लिखते। उसे अपने आप पर बड़ा गर्व होता था, क्योंकि उसे पता था कि बहुत कम बिल्लियों के मालिक बौनों और चुड़ैलों के बारे में इतना ज़्यादा जानते हैं, जितना उसके मालिक जानते हैं। वह अपने मालिक से बहुत प्यार करती थी।

एक शाम विप अपनी मख़मलों टोकरी में आराम से लेटी हुई थी, और उसके मालिक कहानी लिखने में व्यस्त थे। तभी अचानक दरवाज़े से किसी के दरवाज़ा खटखटाने की आवाज़ आई। श्रीमान माईरमन उठे और दरवाज़े की तरफ़ बढ़े। विप भी बड़ी नाज़ुकता से अपनी पूँछ हिलाते हुए अपने मालिक के पीछे-पीछे चल दी। श्रीमान माईरमन ने दरवाज़ा खोला तो देखा कि उनके सामने दो बड़ी-बड़ी आँखों वाली सुंदर-सी चुड़ैलें अपनी झाड़ू के साथ खड़ी थीं। उनको देख श्रीमान माईरमन का चेहरा एकदम सफ़ेद पड़ गया, जैसे काटो तो ख़ून न हो। दोनों में से एक चुड़ैल ने घर में घुसते हुए कहा, “हम तुम्हारी कहानियों में, हमारे बारे में लिखी झूठी और डरावनी बातों से बिल्कुल परेशान हो गए हैं, तुम हमारे बारे में बहुत अजीब- अजीब बातें लिख कर लोगों को बताते हो, जो बिल्कुल भी सच नहीं हैं।”

लेखक महाशय डर के मारे टेबल के नीचे छुपते हुए चुड़ैलों को वहाँ से भाग जाने के लिए कह रहे थे। अपने मालिक को यूँ चुड़ैलों के डर से टेबल के नीचे छिप जाने से विप को कुछ-कुछ समझ आ रहा था कि उसके मालिक चुड़ैलों और बौनों के बारे में कुछ भी नहीं जानते। अब तक जो भी उन्होंने उनके बारे में लिखा वह सब मनगढ़ंत कहानी थी। इसी लिए चुड़ैलें अब उसके मालिक से ग़ुस्सा थीं। दोनों चुड़ैले लेखक महाशय को तंग करने के लिए, जिस टेबल के नीचे श्रीमान माईरमन छिपे थे, उसी के टेबल के नीचे उनके पास बैठ गईं।

“हाँ अब ठीक है हम तीनों आराम से बातें करेंगे?” दोनों चुड़ैलें आपस में बात करने लगीं, “तुम कहोगी या मैं कहूँ जूलिया?”

“नहीं पहले तुम ही शुरू करो, तब तक मैं हम दोनों के लिए कॉफ़ी तैयार करती हूँ। मैं उड़ते-उड़ते थक गई हूँ।”

जूटा टेबल के नीचे घुस कर बैठ गई जहाँ वह लेखक महाराज छिप कर बैठे थे, जो उनके बारे में भ्रान्तियाँ लिख रहे थे।

“हाँ तो बात यह है कि हम लोग मकड़ी के जाल वाले ‘पैन-केक’ नहीं खाते, और भेड़ के बच्चों को तो बिल्कुल भी नहीं खाते। आपके मन में कहाँ से ऐसे ख़्याल आते है? हम लोग पार्टी में नाचते हैं, चुड़ैलों के खंडहरों में नहीं नाचते, न ही हम बच्चों को रातों को सपनों में आ कर डराते हैं। अक्टूबर महीने में हम लोगों को डराने नहीं, अपने परिवारों के पास उन्हें देखने जाते हैं, समझे!, इसका मतलब अब आप इस बारे में अपनी किसी कहानी में नहीं लिखेंगे।”

तभी जूलिया रसोई में से ख़ाली डिब्बा हाथ में लेती हुई उनकी तरफ़ लौटी, “इनकी रसोई में तो कॉफ़ी ही नहीं है।” और ऐसा कहते हुए वह भी टेबल के नीचे जूटा और लेखक के साथ बैठ गई। लेखक को थोड़ा और परेशान करने के लिए उसने अपनी लंबी-लंबी टाँगें लेखक की तरफ़ पसार दीं और अपने हाथों से उनके सिर के बाल सहलाने लगी। श्रीमान माईरमन आज से पहले कभी भी इतने डरे नहीं थे। विप, लेखक की बिल्ली, अपनी टोकरी में बैठ कर इन सबका मज़ा ले रही थी। वह हमेशा कहते थे कि चुड़ैलें बुरी नहीं होतीं, फिर आज वो क्यों इतने डरे हुए हैं, उसे समझ नहीं आ रहा था।

अचानक लेखक टेबल के नीचे से निकल कर सोफ़े का सहारा लेकर उन दोनों चुड़ैलों से थोड़ा-सा हट कर बैठ गए। लेखक को ऐसा करते हुए देख दोनों चुड़ैलें जूलिया और जूटा ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगी। उन्होंने आज से पहले किसी भी मनुष्य को उनसे इतना डरा हुआ नहीं देखा था। वह दोनों भी टेबल से खिसक कर लेखक महोदय के पास सोफ़े से सट कर बैठ गईं। उन्होंने श्रीमान माईरमन के कानों के पास जा कर कहा, “श्रीमान माईरमन, हम बस अभी चले जाएँगे, पर जाने से पहले हम एक बात का वादा आपसे चाहते हैं कि ‘आज के बाद आप अपना किसी भी किताब में, किसी भी कहानी में हम चुड़ैलों के बारे में इस तरह की अजीब और झूठी बातें नहीं लिखेंगे’।” श्रीमान माईरमन ने काँपते हाथों से उनसे माफ़ी माँगते हुए यह वादा किया कि वह आज के बाद कभी भी चुड़ैलों के बारे में किसी भी प्रकार की ग़लत अफ़वाह अपनी कहानियों में नहीं लिखेंगे।

दोनों चुड़ैलें ख़ुश हो कर वहाँ खड़ी हो गईं। उन्होंने अपनी-अपनी झाड़ू उठाई और उस पर बैठ कर हवा में उड़ गईं।

विप अपने मालिक के पास आ कर बैठ गई; श्रीमान माईरमन अभी तक डर से काँप रहे थे। “हे भगवान! अब आप क्या लिखोगे?” विप में अपने मालिक सकी तरफ़ देखते हुए पूछा।

“विप तुम बोल सकती हो?” लेखक ने अपनी बिल्ली की तरफ़ देखते हुए हैरानी से कहा।

विप ने कहा, “पता है अब तुम्हें क्या करना चाहिए? अब तुम्हें बिल्लियों की सच्ची कहानियाँ लिखनी चाहिएँ और इसमें मैं तुम्हारी पूरी मदद करूँगी।”

“अरे वाह यह तो बहुत बढ़िया सुझाव है।”

उसके बाद से श्रीमान माईरमन ने बिल्लियों पर कहानियाँ लिखनी शुरू कर दीं। लोगों ने उन कहानियों को भी बहुत रुचि लेकर पढ़ना शुरू कर दिया। चुड़ैलें भी बहुत ख़ुश थीं वह फिर कभी लेखक के यहाँ बिन बुलाए कॉफ़ी पीने नहीं आईं।

1 टिप्पणियाँ

  • 15 Oct, 2023 08:54 PM

    ये सच है कि लेखक अक्सर वही लिखता है जिसे अपने आस पास महसूस करता है या जीवंत किरदारों को अपनी जिंदगी से जुड़ा हुआ महसूस करता है। इस कहानी में लेखक कल्पनाओं में खोया हुआ अपने ही जाल में फस जाता है।

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