बारिशें . . .

15-07-2023

बारिशें . . .

अभिषेक श्रीवास्तव ‘शिवा’ (अंक: 233, जुलाई द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)


212    212    212    212
 
घर किसी का यहाँ ढा रहीं बारिशें 
तो किसी को यहाँ भा रहीं बारिशें 
 
भीगकर छाँव कल थी बनाई मगर
घर के भीतर उतर आ रहीं बारिशें
 
आज मौसम   हमारे यहाँ   देखिए 
शांत परिवेश   चहका  रहीं बारिशें 

 

आँच में सूख थी जो गयी कल धरा
उस धरा को भी नहला रहीं बारिशें 
 
गुनगुगाता ‘शिवा’ गीत बारिश में यूँ
गीत मल्हार हैं गा रहीं बारिशें

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