अभिमान न कर
सुनील कुमार मिश्रा ‘मासूम’
वक़्त है तेरा तो परोपकार कर
रख स्वाभिमान, अभिमान न कर
अभिमान में सच्चे से रार न कर
है जंग तो रामायण को याद कर
जाग रावण चरित्र पर मनन कर
ग़लती है तो दिल से स्वीकार कर
मान ‘मासूम‘ का ये सुकाज कर
सच्चा बन अपना कल्याण कर