युद्ध तुरंत बंद कीजो: श्वान समुदाय की पुतिन से अपील
सुदर्शन कुमार सोनीयूक्रेन युद्ध को माह भर से ऊपर हो गया है। चाहे जब चाहे जहाँ भयानक बम व मिसाइलें गिर रही हैं। निर्दोषों की रोज़ बलि चढ़ रही है। बहुमंज़िला इमारतें ताश के पत्तों की तरह ढह रही हैं। शहर-शहर मलबे का ढेर लग गया है। आधा करोड़ के लगभग लोगों को यूक्रेन छोड़ कर भागना पड़ा। लोगों को अपने प्यारे कुत्तों को छोड़कर भागना पड़ा है। लेकिन पुतिन हैं कि रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं।
आपसे न जाने कितने लोगों ने युद्ध रोकने की अपील की लेकिन आप पर कोई असर पड़ता नहीं दिखता। आप श्वान प्रेमी हैं अब हम श्वान समुदाय आप से पूँछबद्ध होकर निवेदन करते हैं।
हमारे भाई बंधु भी बड़ी संख्या में बम धमाकों के डर से बंकरों में छिपे पडे़ हैं। बहुत से तो दहशत में प्राण छोड़ चुके। हम श्वानों की भौं-भौं व हिलायमान पूँछ से आबाद रहने वाले घर व सड़कें आज सूनी हैं। भोजन पानी का ठिकाना तक नहीं है हड्डी तो शान्ति की तरह ’बड्डी चीज़’ हो गई है। हमने ऐसे भीमकाय टैंक, ऐसी आगजनी कभी देखी नहीं। न जाने हमारी वफ़ादार क़ौम के भी कितने मलबे में दब मर गये।
युद्ध के माहौल में हम पूँछ तक नहीं हिला पा रहे हैं! आपने मन में पूछा कभी कि ये कितनी बड़ी सज़ा होती है एक श्वान के लिये! कहा जाता है कि हमारी दुम को बारह साल भी पोंगड़ी में डालो तब भी सीधी नहीं होती! लेकिन आपको पता है यूक्रेन के कितने शहरों में आपकी मिसाइलों और बम की गर्जना से हमारी पूँछ डर के मारे जो नीची हुई तो ऊपर होने का नाम ही नहीं ले रही। जैसे कि आपकी सोच को लकवा मार गया वैसा ही कुछ हमारी पूँछ के साथ लगता हो गया। अनेक लोग हमें इतना प्यार करते थे कि वे हमेंं भी हमराह बना कर ले गये। पर कुछ अभागे हैं जो अकेले रह गये दुबके पडे़ ख़ौफ़ की ज़िन्दगी जी रहे हैं। एक-एक पल एक-एक युग लग रहा। आपके हवाई जहाज़ों उनकी मिसाइलों व बम की गर्जना से जीते जी वे लाश बने हुए हैं। आप बग़ैर युद्ध के नहीं जी सकते और हम युद्ध में नहीं जी सकते!
जर्मनी की पूर्व चांसलर मर्केल जब आयीं थी तो आपने अपने प्रिय डाॅग कोन्नी को भी साथ रखा था। आप इससे इतना प्रेम करते थे कि कोन्नी क्रेमलिन कि मीटिंगों में भी उपस्थित रहती थी। उसकी मौत पर सरकारी नोट जारी हुआ था। अब फिर ऐसी निर्दयता क्यों? आपके पास अभी भी हमारी क़ौम के कई वफ़ादार हैं जिनको आप बहुत प्यार करते हैं। पर यूक्रेन युद्ध में आप ये सब भूल गये।
बैंड बाजों की, पिद्दी पटाखा बम की आवाज़ से दीवाली न्यू ईयर में हमेंं डर लगता है। और आपके ये बम जब फटते हैं तो हमारे कान के पर्दे फटे जाते हैं। युद्ध के बाद यूक्रेन के आधे से ज़्यादा कुत्ते बहरे हो चुके होंगे। पर आप क्यों मानवता की पुकार पर बहरे बनते हो। श्वानों के लिये कम से कम एक दिन का युद्धविराम कर दिया जाये।
आप मोदी जी को अपना अज़ीज़ दोस्त मानते हो तो युद्ध की ज़िद छोड़ो। उन्होंने कृषि क़ानून लागू करने की ज़िद किसानों की ज़िद के आगे छोड़ दी। आप भी अपने इस यूक्रेन को कब्ज़ाने के युद्ध क़ानून को निरस्त कर दो। हाथ जोड़ कर विश्व बिरादरी से माफ़ी माँग लीजिए कि ये ज़ेलेंस्की, ये अमेरिका ये नाटो को मैं अपनी बात नहीं समझा पाया। पर मैं ऐसी बरबादी अब और नहीं देख सकता। इसलिए इस युद्ध को एकतरफ़ा ख़त्म कर रहा हूँ। वैसे भी पुतिन जी आपको क्या खोना है क्रीमिया के बाद आपकी झोली में अभी डोनेक्स व लोहांस्क भी आ गये हैं।
ज़ेलेंस्की को आप वार्ता टेबल पर बुला लो। अपने प्रिय डाॅग को भी सामने ही रखो, हो सकता है कि हमारी क़ौम के एक नुमाइंदे के कारण आपके मन में सकारात्मक विचार आ जाएँ। ज़ेलेंस्की भी, हो सकता है दुनिया के चौधरी के दम पर ताल ठोंकना बंद कर दे। दुनिया को परमाणु युद्ध की कगार पर ला खडे़ किये इस यूक्रेन युद्ध का अंत तुरंत करना आपके हाथ है।
आज हम मूक प्राणियों के वास्ते ही सही, कल ही युद्ध समाप्त की घोषणा कर दें।
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