सुरंगमा यादव हाइकु - 2
डॉ. सुरंगमा यादव1.
पराया देश
ढूँढे अपनापन
नयी दुल्हन
2.
उमड़ता है
चाहतों का सागर
चाँद निष्ठुर
3.
उड़ा अबीर
गोरी का मन अब
धरे न धीर
4.
होली की भोर
छिपती फिरे गोरी
मिले न ठौर
5.
छाई कंगाली
क्या होली,क्या दीवाली
खाली है थाली
6.
खोखली हँसी
खनक कह रही
बर्तन खाली
7.
जब विचार
बनते व्यवहार
स्वप्न साकार
8.
गिने पृष्ठ हैं
गिनती है अज्ञात
जीवन पोथी
9.
झूठी क़समें
सत्य का उपहास
न्याय की आस!