पत्थर होती अहल्या 

15-02-2020

पत्थर होती अहल्या 

डॉ. कविता भट्ट (अंक: 150, फरवरी द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

मदमस्त इंद्र 
गौतम भी वैसा ही सशंकित क्रुद्ध
किन्तु, राम हो गया तटस्थ द्रष्टा
संभवतः ; स्पर्श करना भूल गया है
इसीलिए शिलाएँ अब
पुनः अहल्या नहीं बन पाती
टूटती-पिसती हैं
हो जाती हैं -धूल।

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