मिलन में भी 

15-02-2020

मिलन में भी 

डॉ. कविता भट्ट (अंक: 150, फरवरी द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

प्रेम की पराकाष्ठा 
तुमसे लिपटी हुई 
तुम्हारे पास ही होती हूँ 
तब भी तुम्हारी ही
याद में रोती हूँ। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें