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ISSN 2292-9754
वर्ष: 16, अंक 173, जनवरी द्वितीय अंक, 2021
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15-02-2020
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डॉ. कविता भट्ट
प्रेम की पराकाष्ठा
तुमसे लिपटी हुई
तुम्हारे पास ही होती हूँ
तब भी तुम्हारी ही
याद में रोती हूँ।
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