आधी रात बीत गई

20-02-2019

आधी रात बीत गई

प्रभुदयाल श्रीवास्तव

आठ लोरियाँ सुना चुकी हूँ,
परियों वाली कथा सुनाई।
आधी रात बीत गई बीत भैया,
अब तक तुमको नींद न आई।

थपकी दे दे हाथ थक गये,
कंठ बोल बोल कर सूखा।
अब तो सोजा राजा बेटा,
तू है मेरा लाल अनोखा।
चूर चूर मैं थकी हुई हूँ,
सचमुच लल्ला राम दुहाई।
आधी रात बीत गई बीत भैया,
अब तक तुमको नींद न आई।

सोये पंख पखेरू सारे,
अलसाये हैं नभ के तारे।
करें अँधेरे पहरेदारी,
धरती सोई पैर पसारे।
बर्फ बर्फ हो ठंड जम रही,
मार पैर मत फेंक रजाई।
आधी रात बीत गई बीत भैया,
अब तक तुमको नींद न आई।

झपकी नहीं लगी अब भी तो,
सुबह शीघ्र न उठ पाओगे।
यदि देर तक सोये रहे तो,
फिर कैसे शाला जाओगे।
समझा समझा हार गई मैं,
बात तुम्हें पर समझ न आई।
आधी रात बीत गई भैया
अब तक तुमको नींद न आई।

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

किशोर साहित्य नाटक
बाल साहित्य कविता
बाल साहित्य कहानी
किशोर साहित्य कविता
किशोर साहित्य कहानी
बाल साहित्य नाटक
कविता
लघुकथा
आप-बीती
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में