विशेषांक: फीजी का हिन्दी साहित्य

20 Dec, 2020

कभी तेरे कंधे पर
बैठकर घूमा करते थे
कभी तेरी गोदी में
बैठकर क़िस्सा सुना करते थे
कभी एक थाली में
साथ खाते थे
वो दिन कुछ अलग थे
जब हम साथ रहा करते थे
भाई मेरे, तेरे साये में
हम कितने महफ़ूज़ रहा करते थे।
 

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