ये श्याम सखी बड़ी अटपट री
भव्य भसीन
ये श्याम सखी बड़ी अटपट री
लखि श्याम छवि मची खटपट री
ये श्याम सखी . . .
लाज नहीं कोई आए इसे
लिपटी रहे श्यामल तन सों री
ये खींच के कान पिया के बोले
सुन लो बात जिया मम की
ये श्याम सखी . . .
लाड़ अनोखे लड़ाये पिया को
चूमे चाटे कपोल अरि
माँ नज़र उतारे काजर से
ये लार लगाए भर भर री
ये श्याम सखी . . .।
न आरती वंदन करे कमर
कसती है चूँटी हाय कुमति
ये श्याम सलोना बना खिलौना
करती है लीला सब मन की
ये श्याम सखी . . .
रैन जगाये सारी उसको
भोग लगावे जूठन की
ये पागल पीछे पड़ी पिया के
फूटी क़िस्मत हाय हरि की
ये श्याम सखी . . .
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