जब साँझ ढले पिय आ जाना

01-12-2023

जब साँझ ढले पिय आ जाना

भव्य भसीन (अंक: 242, दिसंबर प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

जब साँझ ढले पिय आ जाना
ये रात बिरहा की नहीं कटती। 
देखूँगी दर पे दिख जाना
ये प्यास दरस की नहीं मिटती। 
 
ललित छवि अरु कुंतल कारे
प्राणपति मेरे कितने न्यारे
निशि दिन हिय में वास करो तुम
इन नैनन के अंजन प्यारे
 
जब रोती पुकारूँ सुन आना
ये अगन हृदय की नहीं मिटती। 
जब साँझ . . . 
 
अगणित जनम की व्यथा कहानी
प्रीतम क्या तुमने नहीं जानी
क्या कहूँ कैसी अधम हूँ प्यारे
जो दर्शन अधिकारी न जानी
 
जब प्राण मैं देऊ ले जाना
मेरी तुम बिन पीड़ा नहीं घटती। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें