मोहे लाड़ लड़ाये कान्हा जी
भव्य भसीन
का कहूँ सखी मैं आज की बात
लाज करूँ या करूँ मैं बात
साँझ लगी मैं उनके हाथ
हो गयी गड़बड़ मैया जी
मोहे लाड़ लड़ाये कान्हा जी
मोहे लाड़ लड़ाये कान्हा जी॥
अंक लिए भर मोहे आज
बैया डाल के गल बृजराज
कर कमलन दिए केश में साथ
धक धक भागे मेरा जी
मोहे लाड़ लड़ाये कान्हा जी
मोहे लाड़ लड़ाये . . .
नहीं आये ये रसिया बाज
टेढ़े बोल, लगे मोहे लाज
अधर आनन दिए आज वो साज
लम्पट कहूँ ना और क्या जी
मोहे लाड़ . . .।
सखी श्याम छवि सुंदर सोहन
नैनन सौ करे वो सम्मोहन
ले भुजा पाश में मनमोहन
वो चूमे करूँ मैं हाँ जी हाँ जी
मोहे लाड़ लड़ाये कान्हा जी . . .
मोहे लाड़ लड़ाये कान्हा जी॥
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