यह समय है झूठ का, अब साँच को मत देख

01-07-2023

यह समय है झूठ का, अब साँच को मत देख

प्रो. ऋषभदेव शर्मा (अंक: 232, जुलाई प्रथम, 2023 में प्रकाशित)


(तेवरी)
 
यह समय है झूठ का, अब साँच को मत देख! 
देख मत पंचायतों को, जाँच को मत देख!! 
 
नेपथ्य से नाटक चलाता धूर्त निर्देशक; 
तू थिरकती पुतलियों के नाच को मत देख! 
 
हाथ उसके की सफ़ाई को पकड़ना है अगर; 
तो लहरती उँगलियों के नाच को मत देख! 
 
आग का दरिया तिरेगी, भूमि की बेटी; 
तू नज़र उस पार रख, इस आँच को मत देख! 
 
साँस जब तक शेष है, नाचना होगा यहाँ; 
पाँव में जो चुभ रहा, उस काँच को मत देख! 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

पुस्तक समीक्षा
कविता
ललित निबन्ध
दोहे
सांस्कृतिक आलेख
स्मृति लेख
साहित्यिक आलेख
पुस्तक चर्चा
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में