राम का नाम ले
आचार्य संदीप कुमार त्यागी ’दीप’खुमारी अद्भुत चढ़ाये जाम ले।
खुशी से झूम झूम मचा धूमधाम ले॥
सुबह ले शाम ले शाम ले या आठों याम ले,
राम के नाम का जाम तू थाम ले॥
साध सब काम ले, राम का नाम ले॥
राम नाम की पी पी मदिरा,
मस्त-मस्त मुनिजन देखे,
बाल्मिकी तुलसी कबीर
आदि से सुधी सन्तन देखे।
चढ़ा चढ़ाकर यही सुराही
सुरपुर में सुरगण देखे,
देखें हैं आबाल-वृद्ध समृद्ध
सभी जनमन देखे॥
उलटे-सीधे, सीधे-उलटे
हो जैसे ले नाम ले॥
राम नाम के नशे-नशे में
लाँघ लिये हनुमन् सागर,
लंकिनी, त्रिजटा, सुरसा-मुख भी
लगई रामरस की गागर।
भक्त विभीषण से जा बोले
प्याला तू भी थाम ले,
तर जायेगा बंधु अवश्यम्
पी रस नाम ललाम ले।
सिय सुध पाई लंका जलाई
रामदूत ने नाम ले॥
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