प्यार में
फाल्गुनी रॉयप्यार में मैंने—
आत्मसात होने के लिए
अभिमान से
आत्मा को
आगे बढ़ा दिया।
प्यार में उसने—
आत्मा को किनारे रख
बड़ी आतुरता से
जिस्म को चुन लिया
ठगा हुआ सा
मैंने खींच लिया आत्मा को पीछे।
आत्मसात नहीं हुआ जाता है अब
आत्मा को पीछे रख
अक़्सर धकेल देता हूँ मैं भी
अब जिस्म को आगे।