नहीं आया कोई
फाल्गुनी रॉयनहीं आया कोई
ख़ाली पड़ा है पथ
आज भी कोई नहीं आया
उतरी आख़िर वही ख़ामोशी
फिर पसरा वही अँधियारा
नहीं आया कोई
हाय! कितनी उत्सुकता से पथ
हमने हर शाम निहारा
पहुँची द्वार तक फिर वही उदासी
मन आज फिर छटपटा कर हारा
नहीं आया कोई
डूबकर तन्मयता में नाम
हमने हर शाम पुकारा
नहीं आया कोई
ख़ाली पड़ा है पथ
आज भी कोई नही आया।