कारे-कारे बदरवा : पावस गीत
डॉ. रमा द्विवेदीकारे-कारे बदरवा तुम आओ मोरे अँगना।
बरस -बरस जाओ सरसाओ मन का अँगना॥
आए-आए कहाँ से तुम सफ़र तै करके
बैठो सुस्ता लो ज़रा दिल की बात करके
कुछ हमरी भी सुन लो सुनाओ अपना कहना।
कारे-कारे बदरवा तुम आओ मोरे अँगना॥
कभी करते हो बतियाँ कानों पे अधर धर के
कभी चूमते हो मुखड़ा तुम बूँद -बूँद झर के
कभी अमृत बरसाते हो, बन जाते अश्रु झरना।
कारे-कारे बदरवा तुम आओ मोरे अँगना॥
तेरा रूप सलोना देख मैं रीझ-रीझ जाऊँ
तेरा रूप विकराल देख भयभीत हो जाऊँ
कभी गीत सुनाते हो, सुनाते कभी गर्जना।
कारे-कारे बदरवा तुम आओ मोरे अँगना॥
तेरे आने से आती है नदी को जवानी
प्रणय -प्रेम में बँध रचें फिर कहानी
मैं बनके प्रियतमा दौड़ आऊँ तोरे अँगना।
कारे-कारे बदरवा तुम आओ मोरे अँगना॥
बरस -बरस जाओ सरसाओ मन का अँगना॥