हरेन्द्र श्रीवास्तव – हाइकु – 001

01-07-2022

हरेन्द्र श्रीवास्तव – हाइकु – 001

हरेन्द्र श्रीवास्तव (अंक: 208, जुलाई प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

भीषण गर्मी
जल रहे हैं वन
रोते हिरन। 
 
तपती धरा 
सूख गये हैं पेड़ 
खेत व मेड़। 
 
व्याकुल मैना 
पुकारते जंगल 
आओ रे रैना। 
 
बुझा दो प्यास
हरे भरे हों खेत 
बरसों मेघ। 
 
जेठ की गर्मी 
अब सही ना जाये 
रैना तू आये। 

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