सबका देश समान है, सबका झंडा एक

01-09-2023

सबका देश समान है, सबका झंडा एक

प्रो. ऋषभदेव शर्मा (अंक: 236, सितम्बर प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

(तेवरी)
 
सबका देश समान है, सबका झंडा एक 
सब की धरती एक है, मन की भाषा एक 
 
साथ सभी मिलकर चलें, चलें प्रगति की राह 
सबके सपने एक हों, सबकी आशा एक 
 
साथ साथ खाएँ सभी, सब में रोटी बाँट 
सबकी भूख समान है, और पिपासा एक 
 
घोल रहे जो कुएँ में, संप्रदाय की भाँग 
उन्हें खींच बाज़ार में, करें तमाशा एक 
 
टोपी, कुर्सी, धर्म से, ऊपर अपना देश 
राजनीति के गाल जन, जड़े तमाचा एक 
 
जो नक़्शे को नोंचते, काटें वे नाख़ून 
भारतीय सब एक हैं, सबका नक़्शा एक 
 
यह अक्षय वट देश का, सके न कोई काट 
शीश कटें, कट कट उगें, करें प्रतिज्ञा एक

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