
प्रो. ऋषभदेव शर्मा
जन्म : 04.07.1957, ग्राम - गंगधाडी, जिला - मुज़फ्फर नगर, उत्तर प्रदेश
शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी), एम.एससी. (भौतिकी), पीएच.डी. (उन्नीस सौ सत्तर के पश्चात की हिंदी कविताओं का अनुशीलन)।
कार्य : प्रोफेसर एवं अध्यक्ष, उच्च शिक्षा और शोध संस्थान, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, खैरताबाद, हैदराबाद - 500 004
1983-1990 : जम्मू और कश्मीर राज्य में गुप्तचर अधिकारी (इंटेलीजेंस ब्यूरो, भारत सरकार)
1990-1997 : प्राध्यापक : उच्च शिक्षा और शोध संस्थान, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा : मद्रास और हैदराबाद केंद्र में।
1997-2005 : रीडर : उच्च शिक्षा और शोध संस्थान : हैदराबाद केंद्र में।
2005-2006 : प्रोफेसर एवं अध्यक्ष, उच्च शिक्षा और शोध संस्थान : एरणाकुलम केंद्र में।
संप्रति : १५ मई, २००६ से : प्रोफेसर एवं अध्यक्ष, उच्च शिक्षा और शोध संस्थान : दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, हैदराबाद केंद्र में।
प्रकाशन :
काव्य संग्रह - तेवरी, तरकश, ताकि सनद रहे।
आलोचना - तेवरी चर्चा, हिंदी कविता : आठवाँ नवाँ दशक। कविता की समकालीनता (प्रकाश्य)।
अनुवाद चिंतन - साहित्येतर हिंदी अनुवाद विमर्श।
संपादन : अनुवाद : नई पीठिका, नए संदर्भ, स्त्री सशक्तीकरण के विविध आयाम, प्रेमचंद की भाषाई चेतना।
पत्रिकाएँ : संकल्य (त्रैमासिक); दो वर्ष पूर्णकुंभ (मासिक); पाँच वर्ष : सहायक संपादक महिप (त्रैमासिक); सहयोगी संपादक आदर्श कौमुदी;
तमिल कहानी विशेषांक कर्णवती; समकालीन तमिल साहित्य विशेषांक।
पाठ्यक्रम लेखन :
-
दूरस्थ शिक्षा निदेशालय, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, चेन्नै।
-
नवोदय विद्यालय, एन सी ई आर टी, दिल्ली।
-
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया आफीसर्स एसोसिएशन इंस्टीट्यूट, चेन्नै।
विभिन्न विश्वविद्यालयों/महाविद्यालयों/संस्थानों द्वारा आयोजित संगोष्ठियों / लेखक शिविरों/ कार्यशालाओं में संसाधक/विषय विशेषज्ञ।
शोध निर्देशन : पीएच.डी. और एम.फिल. के ६५ शोध प्रबंधों का सफलतापूर्वक निर्देशन।
विशेष :मूलतः कवि। १९८० में तेवरी काव्यांदोलन (आक्रोश की कविता) का प्रवर्तन। अनेक शोधपरक समीक्षाएँ एवं शोधपत्र प्रकाशित। लगभग ५० पुस्तकों के लिए भूमिका-लेखन।
लेखक की कृतियाँ
- पुस्तक समीक्षा
-
- अधबुनी रस्सी : एक परिकथा
- अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान की व्यावहारिक परख
- अभी न होगा मेरा अंत : निराला का पुनर्पाठ
- आकाशधर्मी आचार्य पं. हजारी प्रसाद द्विवेदी
- आदिवासी और दलित विमर्श : दो शोधपूर्ण कृतियाँ
- किंवदंतीपुरुष के मर्म की पहचान 'अकथ कहानी कबीर'
- प्राचीन भारत में खेल-कूद : स्वरूप एवं महत्व
- शब्दहीन का बेमिसाल सफ़र - डॉ. गोपाल शर्मा
- हमेशा क़ायम नहीं रहतीं ‘सरहदें’ : सुबोध
- ललित निबन्ध
- साहित्यिक आलेख
-
- दक्खिनी हिंदी की परंपरा : ‘ऐब न राखें हिंदी बोल’
- भारतीय चिंतन परंपरा और ‘सप्तपर्णा’
- भारतीय साहित्य में दलित विमर्श : मणिपुरी समाज का संदर्भ
- रामकिशोर उपाध्याय की काव्यकृति 'दीवार में आले'
- लोकवादी भाषाचिंतक आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
- हिंदी के हिंडोले में जरा तो बैठ जाइए
- हिंदी भाषा के विकास में पत्र-पत्रिकाओं का योगदान
- कविता
- पुस्तक चर्चा
-
- ''माँ पर नहीं लिख सकता कविता''
- अपने हिस्से के पानी की तलाश
- आने वाला समय हिंदी का है
- क्या मैंने इस सफ़ेदी की कामना की थी? : द्रौपदी का आत्म साक्षात्कार
- वसंत बास चुन-चुन के चुनरी बँधे : ‘दक्खिनी हिंदी काव्य संचयन’
- हिंदी काव्य-नाटक और युगबोध
- हिंदी भाषा चिंतन : विरासत से विस्तार तक
- ‘क्षण के घेरे में घिरा नहीं‘ : त्रिलोचन का स्मरण
- ’चाहती हूँ मैं, नगाड़े की तरह बजें मेरे शब्द‘
- दोहे
- विडियो
-
- ऑडियो
-