तुम्हारे साथ, तुम्हारे बिन
फाल्गुनी रॉयतुम्हारे साथ-
जैसे वैशाख की तपती धूप में 
उतर आता हो बसंत,
जूही महकती है
सारी रात 
तुम्हारे साथ
तुम्हारे बिन-
जैसे धरती सूखी पड़ी हो भरे 
भाद्र में 
गुमसुम हो दूधिया चाँदनी शरद की
और कोहरे में डूबे हो चैत्र के दिन
तुम्हारे बिन