समन्वय-सेतु

01-07-2020

समन्वय-सेतु

दिनेश कुमार माली (अंक: 159, जुलाई प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

मूल लेखिका: प्रो. नंदिनी साहू
अनुवादक: दिनेश कुमार माली

 
मैं अंग्रेज़ी में कविता वाली भारतीय कवयित्री हूँ!
मैं कब तक इस चारु पुष्प-माला को पहन कर रखूँगी? 
क्या मैं भी इसे नीचे भी रख सकती हूँ?
 


अंग्रेज़ी में कविता लिखना किसी साम्राज्य निर्माण के जुनून जैसा है।
यह सार्वभौमिक रूप से
मातहतों की वकालत करने वाले सोद्देश्य सुने जाने वाले शब्द हैं।
 


मुझे लगता है कि मैं जो लिखती हूँ, वह अंग्रेज़ी नहीं है।
फिर भी यह साँस लेने के लिए मेरा परक्राम्य विकल्प है,
जीवन जीने की कला का।
 


यह मेरी आत्मा को ख़ुश रखने वाली सुगंध है।
यह एक मेल-मिलाप है, समन्वय–सेतु है,
विशेषाधिकार और हाशिए वाले लोगों के बीच का।


 
हे सरस्वती ! मुझे सिखाओ कि कैसे तोड़ूँगी मैं सदियों पुरानी
सीमा-रेखा- कवियों और भारतीय अंग्रेज़ी कवियों – के बीच की
परिधि और केंद्र के मध्य की।


 
मेरी कविता को इतना स्वादिष्ट बनाओ
पखाल और सूखी मछली की तरह
कि दुनिया की नज़रों में आएँ।


 
मैं अंग्रेज़ी में लिखती हूँ हृदय की बाँहों में क़ैद
शब्दों को उन्मुक्त करने के लिए
भले वे ओड़िया हो या भारतीय, है तो इस धरती और हवा से निर्मित।


 
मैं शराबी हूँ और मैं बीयर का ग्लास हूँ
मैंने ऐसा कोई पाप नहीं किया है
जो आपने नहीं किया हो, मैं आपका भाग्य साझा करती हूँ।


 
ओड़िया मेरे लिए सोचने की, अनुभव करने की, सपने देखने की भाषा है
और चाहे वह मेरा अंतिम संस्कार क्यों न हो। 
अंग्रेज़ी, मेरे लिए, गले का हार और मेरी तलवार, मेरी एकमात्र शरण है।


 
यह मेरी लालसाओं और सामानों की आवाज़ है।
पश्चिमी हवा और तटीय भारतीय गाँवों वार्षिक बाढ़ की तरह ईमानदार,
यह मेरी हड्डियों में संग्रहित मज्जा है।


 
लेकिन यह मुझे नाम देती है, मेरा अपना।
यह अथक प्रतीक्षा के बिना मेरे पास आती है।
यह जुलाई की मूसलाधार बारिश में यमुना की तरह उफनती है।


 
भाषा मोती के आकार की बारिश की बूँदों की तरह है।
यह ख़ुश-स्वस्थ रखने वाले अंकुरित बीन्स की तरह है;
यह गोवा की रेड वाइन की तरह है; मेरी पोशाक पर रेशमी कढ़ाई की तरह है।


 
कविता से शुरू होता है भीषण गर्मी का दिन,
जो सारे अवरोधों को दूर करता है
हृदय, घर और चूल्हे के बीच का।


 
अंग्रेज़ी वर्णमाला के जिन अक्षरों का मैं उपयोग करती हूँ,
उनके साथ छन-छन करते नूपुर, मेरी दुनिया में रस घोल देते हैं।
कविता बूँदाबाँदी करने लगती है, तारे पिघल जाते हैं।


 
मैं भारतीय हूँ, जन्मजात ओड़िया 
मेरी गेहुँआ भूरी त्वचा, मेरी काली आँखें
मैं केवल कवयित्री हूँ- अंग्रेज़ी या अनंग्रेजी- मेरी मधुशाला सारस्वत है।

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