प्रतिशत

15-01-2020

प्रतिशत

भावना सक्सैना  (अंक: 148, जनवरी द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

कुछ महीनों से वह बहुत परेशान था... जब से कम्पनियों ने नई ऑनलाइन ख़रीद प्रणाली शुरू की थी उससे लिए जाने वाले उपकरणों की सप्लाई लगभग बंद हो चुकी थी। अच्छे भले चलते व्यवसाय को बैठता देख उसकी नींद उड़ गई थी। गोदाम में स्टॉक बहुत था और उसे डर था कि ऐसा ही चलता रहा तो उसके पास पड़े अधिकांश उपकरण आउटडेटेड हो जाएँगे। कंप्यूटर उपकरण यूँ भी बड़ी तेज़ी से उन्नत होते रहते हैं।

क्रय मूल्य पर उपकरण प्रदर्शित कर देने के दस दिन बाद भी उसके पास कोई आर्डर नहीं था।

वह हमेशा उसूलों पर चला था... अंततः देर तलक चली अंदरूनी जद्दोजेहद के बाद परिवार का सोचते हुए आज अपने सम्मान से समझौता कर वह उस कम्पनी मैनेजर के पास पहुँचा जिससे एक समय पर बहुत अच्छे सम्बन्ध थे और वहाँ अधिकांश उपकरण उससे ख़रीदे जाते थे। शायद मिलने से कुछ पता चले।

“सर मैं समझ नहीं पा रहा कि क्रय मूल्य पर दाम रखने के बाद भी आप मुझसे समान क्यों नहीं ख़रीद रहे। क्या मुझसे कोई भूल हुई है?”

“अरे नहीं-नहीं, ऐसा क्यों सोचते हैं आप। आप तो जानते ही हैं नियमानुसार हमें सबसे कम दाम वाला माल ही ख़रीदना होता है। कहीं और इससे कम दाम पर उपलब्ध है, बस इसीलिए आपसे नहीं ख़रीद पा रहे, मजबूरी है।”

“लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है?  कोई भी घाटे से तो सामान नहीं बेच सकता। सप्लायर मुनाफ़ा न भी ले, तो ख़रीद मूल्य से कम पर तो नहीं बेच सकता।”

“हमने ख़रीदा है… लो ये माल की डिलीवरी आ गयी है, अपने-आप देख लो।“

“सर लेकिन जिस उपकरण की मैं बात कर रहा हूँ यह वह नहीं है। जिस मॉडल का आपने क्रय आदेश जारी किया है यह उससे पहले का मॉडल है। कोटेशन और आर्डर वर्ज़न 7 का है और सप्लाई वर्ज़न 6 हुआ है। इसे तो अब कोई नहीं ख़रीदता।”

“हाँ तो, भई काम तो वैसा ही करेगा…”

“यह उससे धीमा चलता है।”

“अरे हमारे यहाँ जिन्हें इस पर काम करना है वह भी धीमी रफ़्तार से ही करते हैं, इसलिए उन्हें फ़र्क नहीं पड़ता।”

“लेकिन!”

“अरे लेकिन-वेकिन क्या, समझने की कोशिश कीजिए आप, यह तो आपके और हमारे बीच की समझ है। व्यापार के गुर हैं। आप बहुत भोले हैं, नहीं सीखेंगे तो जी नहीं पाएँगे।”

“आप सलाह दें मैं क्या करूँ?”

"आप पुराने मित्र हैं इसलिए बताता हूँ... आपको निचले मॉडल का दाम कोट करना है और वही सप्लाई करना है, बस स्पेसिफ़िकेशन नए मॉडल के देने होंगे। बाक़ी प्रतिशत आपको रामपाल समझा देगा।”

अगली सुबह उसने अख़बार वाले को पुकारा... “भाई अबसे रोज़गार समाचार भी डाल दिया करना।"

वह अपना प्रतिशत तय कर चुका था।

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