फूल खुशियों के मुस्कुराये हैं।
गीत भँवरों ने गुनगुनाये हैं॥
धूप सोने सी छाँव चाँदी सी।
मोती शबनम ने भी लुटाये हैं॥
झुरमुटों में से यों कली निकली।
चाँद से ज्यों हटी घटायें हैं॥
स्नेह लतिका पे मुग्ध पंछी हैं।
फूली डाली भी गुदगुदाये हैं॥
रोशनी भर रही दिलों में नई।
"दीप" ऐसे ये जगमगाये है॥