चेहरे

फाल्गुनी रॉय (अंक: 171, दिसंबर द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

बड़ी गर्मजोशी से वो मिला मुझे 
ख़ूब आतुरता से उसने 
गले से लगाया।
 
मीठी-मीठी बातें बहुत
वो करता रहा फिर,
उस रंगीन पानी के तीन-चार घूँट पीने तक।
 
कितने चेहरों को छिपाये फिरते हैं 
बशर
एक चेहरे के पीछे।

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें