ज़िक्र (आदित्य तोमर)
आदित्य तोमर ’ए डी’दीप जलते रहें, आस बढ़ती रहे,
साँझ के गीत पर, रात ढलती रहे ।
फिर से सवेरा हो जाएगा,
ज़िक्र हो तेरा... बात चलती रहे॥
दीप जलते रहें, आस बढ़ती रहे,
साँझ के गीत पर, रात ढलती रहे ।
फिर से सवेरा हो जाएगा,
ज़िक्र हो तेरा... बात चलती रहे॥