आदित्य तोमर - मुक्तक - 1 नयन
आदित्य तोमर ’ए डी’1.
रात भर जागते रहे दो नयन,
सब व्यथा बाँचते रहे दो नयन।
अश्रु बहते रहे रुके ही नहीं
भावनाएँ साधते रहे दो नयन॥
2.
मन की बात को नयनों ने कह दिया,
सारे हालात को नयनों ने कह दिया।
मैं कुछ कहता उससे पहले ही,
मेरे जज़्बात को नयनों ने कह दिया॥