प्रिये! तुम बिन

01-05-2022

प्रिये! तुम बिन

आदित्य तोमर ’ए डी’ (अंक: 204, मई प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

क्षण भर नहीं प्रिये तुम बिन, 
कल्पित मेरा जीवन है
है अधूरा सकल चित्रण
सूना-सूना मेरा मन है
 
क्षण भर नहीं प्रिये तुम बिन
सम्भव मेरा जीवन है
 
तुम बिन कैसे होगा सूरज
उदित मेरे हृदय नभ में
तुम बिन कैसे उजियारा होगा
मेरे विस्तृत जीवन जग में
 
तुम बिन होगा ऐसा जैसे
सारा जग बीहड़ वन है
क्षण भर नहीं प्रिये तुम बिन, 
कल्पित मेरा जीवन है
 
मेरी आँखों को आदत है
तुम को देखा करने की
मेरी साँसों की चाहत है
तुम से उलझा करने की
 
तुम बिन ये सब होगा कैसे
क्या सम्भव ये चित्रण है
क्षण भर नहीं प्रिये तुम बिन, 
कल्पित मेरा जीवन है
 
क्षण भर नहींं प्रिये तुम बिन
सम्भव मेरा जीवन है
है अधूरा सकल चित्रण
सूना-सूना मेरा मन है। 


क्षण भर नहीं प्रिये तुम बिन
कल्पित मेरा जीवन है

2 टिप्पणियाँ

  • 25 Apr, 2022 08:05 PM

    बेहद शानदार प्रेम गीत... क्षण भर नहीं प्रिय तुम बिन कल्पित मेरा जीवन है।

  • 25 Apr, 2022 04:49 PM

    मेरी आंखों की आदत है तुमको देखा करने की,मेरी सांसों की चाहत है तुमसे उलझा करने की....क्षण भर नहीं प्रिय तुम बिन कल्पित मेरा जीवन है।.... बेहतरीन रचना आदित्य...

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