दूर जाना प्रिये!
आदित्य तोमर ’ए डी’दूर जाना प्रिये! एक रीति है
प्रेम में और पास आने की
शब्द कहते हैं बहुत कुछ पर
मौन है विधा प्रेम जताने की
दूर जाना प्रिये! एक रीति है
प्रेम में और पास आने की
दूर होकर भी तो हम दूर न हैं
दूरियों में भी तो हम पास हैं
दूरियों का कोई अस्तित्व नहीं
प्रेम में गर दो मन साथ हैं
उन रास्तों पर चलने से हानि क्या
जिन रास्तों की राह हो पास आने की
दूर जाना प्रिये! एक रीति है
प्रेम में और पास आने की
प्रेम के लेख में साँस ने है कहा
शब्द लिखोगे, शब्द रह पाएँगें नहीं
लिखना है तो लिखो अपने स्पर्श से
स्पर्श देह से कहीं जायेंगे नहीं
खुले व्योम में पंछी उड़ जाए कहीं
आस रहती है उसके लौट पास आने की
दूर जाना प्रिये! एक रीति है
प्रेम में और पास आने की।
3 टिप्पणियाँ
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So sweet, lovely ❤️ Beautiful Lines
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बहुत खूब
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Very beautiful and exquisite work...Beautiful definition of love...May you always touch such heights..