तुम्हारी याद
आदित्य तोमर ’ए डी’तुम्हारी याद सारी रैन हमें सोने नहीं देती
यहाँ रस्ते हज़ारों हैं मगर खोने नहीं देती।
तेरी मुस्कान का जादू अलग ही है मेरी जानां
ये हमारी ही आँखों को हमें भिगोने नहीं देती॥
2 टिप्पणियाँ
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बहुत खुब । मित्र तुहारी मुक्तककी भाव मुझे छोने नहीं देती ।
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Good work ,keep it up.