विस्मरण
डॉ. महेश आलोकबहुत कुछ भूलता जा रहा हूँ जीवन में
अट्ठारह की उम्र में मिला वह दोस्त
उसका नाम क्या था
हालाँकि जहाँ तक याद है
हमने आजीवन मित्रता निभाने की
क़सम खायी थी
इतना याद है कि
उस समय भूकम्प का झटका
ज़ोर से लगा था
जब वह लड़की
गोद में गिर गयी थी
उसने किस रंग के कपड़े
पहने थे उस समय
उस लड़की का नाम
क से शुरू होता था या प से
या किसी अन्य अक्षर से
अस्पताल में
शतरंज खेलते समय
डाक्टर दास ने अपने छाते से
समस्त गोटियाँ
बिखरा दी थीं पूरे वार्ड में कि
मेरा बुखार उतर नहीं रहा था
डाक्टर दास का पूरा नाम क्या था
और उस समय ठीक ठीक
क्या थी मेरी उम्र
बहुत कुछ फिसल रहा है
स्मृतियों से जैसे
निराला की तमाम कविताओं
के बीच के अंश
जो कभी पूरा याद थे
सोलह की उम्र में पढ़ा
उपन्यास और उसके पात्र
वे प्रेम पत्र -
उनमें किसके शेर
उद्धृत किये थे मैंने और
वे प्रेम के उद्धरण वाली पुस्तिका
सड़क पर बिकने वाली
किस दुकान से ख़रीदा था उसे
उस गली का नाम
याद करने की कोशिश करता हूँ
जिसमें पहली बार खाया था पान
पान वाले का चेहरा
उकेरने की कोशिश करता हूँ
और झुँझला पड़ता हूँ
कितना अजीब लगेगा कि
आप अपने प्रिय छात्र को
अचानक सामने पायें
और उससे पूछें तुम्हारा नाम क्या है
और उस बस स्टाप का नाम
जहाँ से छात्र जीवन में
शाहदरा के लिये
बस पकड़ते थे
कितना कुछ चला गया है
विस्मरण की भयानक दुनिया में
इसी तरह चलता है जीवन
एक दुनिया से दूसरी दुनिया में
स्थानान्तरित होते हुए
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