परदा
डॉ. महेश आलोकघर में हर दरवाज़े पर परदा टँगा है
जैसे ख़ुद से ही छिपाना चाहता हूँ
कमरे के अन्दर की तमाम चीज़ें
धूल तक छिपाना चाहता हूँ
जिसका अनुपम सौन्दर्य
पृथ्वी के शरीर को बनाता है
ब्रह्माँड की सबसे ख़ूबसूरत स्त्री
कमरे के अन्दर की तमाम चीज़ें
जो इस तरह व्यवस्थित हैं
जैसे मेरा बेटा तमाम वर्षों बाद
अव्यवस्थित करेगा उन्हें
जैसे वे ग़ैरज़रूरी हों
कमरे के इतिहास में बैठे पिता को
परदे से बाहर लाने के लिये
मैं परदा हटाता हूँ
और बिस्तर पर लेटा
मेरा तीन साल का बेटा
खिलखिलाकर हँस पड़ता है
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