रेल पटरी पर कान लगाकर सुनो
डॉ. महेश आलोकरेल पटरी पर कान लगाकर सुनो
उसकी साँसें इतनी तेज़ चल रही हैं कि
जैसे कोई शव पड़ा हो
उसकी बगल में
उससे सौ मीटर की दूरी पर खड़ा पेड़
उस चिड़िया को बचा रहा है
जो ट्रेन की ऊपरी छत पर
बैठकर कर रही थी
यात्रा
कई कई बोलियाँ कई कई भाषाएँ
जो कई कई प्रदेशों को उठाकर
चल रही थीं अपनी आत्मा में
उस लड़की के बगल में
लेटी हैं और चुप हैं
जैसे अपनी पैदाइश के सौ दिन बाद
वह लड़की चुप है
लौटती हुई अपनी आत्मा के
अंधकार में
उनके गले में आवाज़ नहीं है
और वे चीख रहे हैं
उनके पैर नहीं हैं और वे चल रहे हैं
उनके हाथ नहीं हैं
और वे तलाश रहे हैं अपनी ऐनक
रेल पटरी पर कान लगाकर सुनो
एक कुत्ते के रोने की आवाज़
क़तई परेशान नहीं कर रही है
किसी आत्मा को जो संसद के
आख़िरी गुम्बद को
फुटबाल बनाकर खेलने की
कर रहा है तैयारी
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