डॉ. महेश आलोक
चर्चित युवा कवि एवं समीक्षक
जन्म : 28 जनवरी 1963
शिक्षा : एम.फिल., पीएच.डी.(हिंदी), जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय,नई दिल्ली
सम्प्रति : नारायण महाविद्यालय, शिकोहाबाद के हिंदी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर एवं अध्यक्ष
प्रकाशन : हंस,इंडिया टुडे (साहित्य वार्षिकी), कथा देश, वागर्थ, अक्षर पर्व, नया ज्ञानोदय, समकालीन भारतीय साहित्य, साक्षात्कार, साखी, जनसत्ता, नवभारत टाइम्स, जनसत्ता (साहित्य विशेषांक, कोलकाता संस्करण की प्रस्तुति), संडे आब्ज़र्बर, पल-प्रतिपल, आजकल, इन्द्रप्रस्थ भारती आदि में कविताएँ प्रकाशित, लेख, कला-संगीत और रंगमंच विषयक समीक्षाएँ, रपट,साक्षात्कार आदि मुख्य रूप से जनसत्ता, नवभारत टाइम्स, इन्द्रप्रस्थ भारती, संडे आब्ज़र्बर, मधुमती, इंडिया टुडे आदि में प्रकाशित
प्रकाशित कृतियाँ : ’चलो कुछ खेल जैसा खेलें’ (कविता संग्रह-राधाकृष्ण प्रकाशन, नयी दिल्ली); ’छाया का समुद्र’ (सेतु प्रकाशन, दिल्ली)के अलावा आलोचना की तीन पुस्तकें प्रकाशित। केदारनाथ सिंह द्वारा संपादित ‘कविता दशक’ में कविता प्रकाशित। इसके अलावा कई संग्रहों में कविताएँ और लेख प्रकाशित।
मराठी, उर्दू, अँग्रेज़ी, बांग्ला(बँगाली) और पंजाबी में कुछ कविताएँ अनूदित
दूरदर्शन, आकाशवाणी, हिन्दी अकादमी, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, उ.प्र. हिन्दी संस्थान, विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों आदि द्वारा आयोजित राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में भागीदारी एवं व्याख्यान तथा काव्यपाठ। अर्द्धवार्षिक शोध पत्रिका ‘शोधमाला’ की परामर्शदात्री समिति के आजीवन सदस्य। साहित्य, संगीत और कला की अन्तरराष्ट्रीय संस्था ‘शब्दम्’ की सलाहकार समिति के सदस्य।
सम्मान :
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उ.प्र. हिन्दी संस्थान, लखनऊ द्वारा विश्वविद्यालयी साहित्यकार सम्मान से सम्मानित।
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अन्तरराष्ट्रीय संस्था ‘शब्दम्’ द्वारा सर्वश्रेष्ठ शिक्षक सम्मान।
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माननीय राज्यपाल महोदय (उ.प्र.) द्वारा उ.प्र. हिन्दी संस्थान, लखनऊ की कार्यकारिणी समिति, सामान्य सभा एवं विशिष्ट सभा का तीन वर्षों के लिये सदस्य मनोनीत (2.14-2.17)
लेखक की कृतियाँ
- कविता
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- इस रास्ते से देश अपने घर लौट रहा है
- इस व्यवस्था की ऐसी की तैसी
- एक अच्छा दिन
- तालाबन्दी - 1
- तालाबन्दी - 2
- तालाबन्दी - 3
- तालाबन्दी - 4
- तुमसे मिल कर ख़ुशी मिली है
- परदा
- मेरा बेटा बड़ा हो रहा है
- मैं कविता में मनुष्य बना रहा हूँ
- रूपक
- रेल पटरी पर कान लगाकर सुनो
- लौटते हैं अपने युवा दिनों की तरफ़
- विस्मरण
- शहद
- शुक्रिया
- शैतानी दिमाग़ के विपक्ष में खड़ा हूँ
- विडियो
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- ऑडियो
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