विश्वास
शकुन्तला बहादुरभविष्य तो अनागत है,
अतीत हो गया व्यतीत।
फिर उदास क्यों रहें,
मन करें क्यों व्यथित॥
वर्तमान साथ है,
इसमें तो कुछ करें।
ध्येय की प्राप्ति में,
प्रतिपल हम मग्न रहें॥
मार्ग के कंटक सब,
फूल बन जाएँगे,
कष्ट दूर होंगे और
सुख के दिन आएँगे॥