चन्दा मामा
शकुन्तला बहादुरसुन्दर सा है चन्दा मामा।
सब बच्चों का प्यारा मामा॥
रात को हमसे मिलने आता।
और सुबह अपने घर जाता॥
तारों की बारात जो लाता।
उसको भी है संग ले जाता॥
गोल गोल चमकीला सा है।
घटता बढ़ता ये रहता है॥
नहीं अमावस को ये आता।
पूनम में दुनिया चमकाता॥
अमृत का इसमें भंडार।
हमको तो है इससे प्यार॥