उसकी नज़र की तलाश में

15-12-2022

उसकी नज़र की तलाश में

डॉ. हर्षा त्रिवेदी (अंक: 219, दिसंबर द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

कम से कम
यह बोध है मुझमें कि मैं
अबोधता को
सहज स्वीकार कर सकूँ। 
 
जीवन की
तमाम जटिलताओं के बीच 
लौटने को तत्पर रहूँ
सहज, सरल संवेदनाओं के द्वार
जहाँ पहुँचकर 
मेरे अंदर का शिशु
सभ्यताओं की कूपमंडुकता पर
खिलखिलाता है। 
 
कभी कभी
साँसें उखड़ने लगती हैं
व्यवस्थाएँ 
धधकाने लगती हैं
ऐसे में मुड़ जाती हूँ
उस नज़र की तलाश में
जो दुबका ले
अपनी खोह में मुझे 
सभी वर्जनाओं से बचाते हुए
प्रेम और विश्वास की ऊष्मा में
अपना
सर्वस्व न्यौछावर करते हुए। 
 
फिर
हौसलों के पंख से
उस ख़ालीपन को
भरने को तैयार होती हूँ 
जिसकी इस दुनियाँ को
बड़ी सख़्त ज़रूरत है। 

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