तिस्ता की पवित्र धारा
डॉ. हर्षा त्रिवेदी
तिस्ता की
पवित्र ठंडी धार के बीच
चुने हुए
कुछ चमकदार पत्थर
तुमने चुपचाप
जाने कब
मेरे लैपटॉप बैग में रख दिया था।
जिन्हें
अब जब भी देखता हूँ
तो लगता है कि
मेरा प्रेम
एक चमकदार
पत्थर ही तो था
जिसे अपनी पवित्र धारा से
निकालकर चुपचाप
तुमने
किनारे कर दिया था।