उलझन

निर्मला कुमारी (अंक: 242, दिसंबर प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

कविता कैसे पूरी करूँँ 
शब्दों का भंडार नहीं है। 
 
उन भावों को कैसे शब्द दूँ
जिन भावों में भाव नहीं है, 
कविता कैसे पूरी करूँँ 
शब्दों का भंडार नहीं है। 
 
कविता में कोई स्वर नहीं है
संगीत बिना तरंग नहीं है, 
कविता कैसे पूरी करूँँ 
शब्दों का भंडार नहीं है। 
 
कविता को मैं कैसे वाचूँ
जिह्वा में वाणी नहीं है, 
कविता कैसे पूरी करूँ 
शब्दों का भंडार नहीं है। 
 
कविता की उलझन किसे सुनाऊँ 
श्रोताओं में लगन नहीं है, 
कविता कैसे पूरी करूँँ 
शब्दों का भंडार नहीं है। 
 
क्यों लिखने का भ्रम पालूँ 
जब जीवन ही कविता बन जाए, 
क्या करूँंगा शब्दों का 
जब शब्दों का अर्थ बदल जाए, 
कविता कैसे पूरी करूँँ 
शब्दों का भंडार नहीं है। 

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