प्रेम पथिक

15-08-2025

प्रेम पथिक

निर्मला कुमारी (अंक: 282, अगस्त प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

भादों की काली रात 
मेंढ़कों का आह्लाद 
बिजली की गड़गड़ाहट 
प्रेम मिलन को आतुर 
प्रेम पथिक की आस कि 
सुबह तो होगी। 
 
सावन की बरसात 
उफनती नदी की आवाज़ 
जुगनुओं की जगमगाहट 
मन में मिलन की चाहत 
प्रेम पथिक की आस कि
सुबह तो होगी। 
 
घटाओं से वर्षा की आहट 
झोपड़ी में सिमटा परिवार 
टपकती छत से भीगता मन 
कैसे करूँगा इज़हार 
प्रेम छवि की व्याकुलता 
प्रेम पथिक की आस की 
सुबह तो होगी। 
 
धवल चाँदनी रात 
तारों की बारात 
रोशनी में ख़ुद को 
छुपाने का असफल प्रयास 
थक न जाऊँ बाट में 
प्रेम पथिक की आस कि 
सुबह तो होगी। 

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