ठोकर

निर्मला कुमारी (अंक: 258, अगस्त प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

ठोकर
निर्मला कुमारी 

वह ज़िन्दगी ही क्या? 
जिसने न सीखा हो टक्करों से
उस शख़्स को कोई गिरा 
नहीं सकता, 
जिसने चलना सीखा हो 
ठोकरों से। 
सीख उन पत्थरों से जो 
घिसता है निरंतर लहरों से 
नहीं खिसकता एक इंच भी 
अडिग रहता है दृढ़ता से 
जिसका इरादा हो खड़े रहना 
नहीं डरता थपेड़ों से, 
कौन दे सकता टक्कर उसे
जो डरता नहीं तूफ़ानों से, 
उस शख़्स को कोई गिरा 
नहीं सकता 
जिसने चलना सीखा हो 
ठोकरें से। 
कामयाबी जो मिली तुझे 
अहसान मान उन चोटों का 
कृतज्ञ हो उन सदमों का 
जो मिले तुझे धोखों से 
मिलता न मिसाइल मैन हमें 
जिसका जीवन भरा न होता 
ठोकरों से
गर खाई न होती ठोकर 
उसने 
न मिलता विश्व का अनुपम 
उपहार भारत को, 
उस शख़्स को कोई गिरा 
नहीं सकता 
जिसने चलना सीखा हो 
ठोकरों से। 

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