संवादों पे साँकल

14-03-2015

संवादों पे साँकल

डॉ. अमिता शर्मा

संवादों पे साँकल सटा के लगा दी
कुंडी पे कुंडी जड़े जा रहे
दर-दरवाज़े से दुश्मनी ले ली
दीवारों से कुछ कुछ कहे जा रहे
 
दस्तक लेने देने से बचने
सन्नाटा सन्नाटा बुने जा रहे
इधर ये ज़माना तके जा रहा
उधर अपनी बंसी सुने जा रहे

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