नहीं सीने में दिल मेरा
सपना मांगलिकनहीं सीने में दिल मेरा
यह किसकी शरारत है
काम नहीं किसी और का,
ख़ुद दिल की ख़िलाफ़त है
कह रहे हैं हमसे वो दिल के
बदले ले लो दिल
मोहब्बत अब तो लोगो,
हुई जैसे तिजारत है
सात परतों के भीतर से
भी कर ले गया पार कोई
या अल्लाह, तेरी क़ायनात की,
ये कैसी हिफ़ाज़त है
गर तू है ख़ुदा नाम का तो
हम भी हैं बन्दे तेरे
दिखावे का ही सज्दा अपना,
दिखावे की ही इबादत है
सँभाल के रखना दिल
अमानत है यह ‘सपना’ की
किया जो इधर उधर,
तो समझो बग़ावत है