जीने नहीं दिया

23-02-2015

जीने नहीं दिया

सपना मांगलिक

जीने नहीं दिया मरने भी 
नहीं देती ख़्वाहिशें तेरी
करता है दिल बार-बार, 
जाने क्यूँ फ़रमाइशें तेरी
 
पास आकर दूर जाना तेरा, 
मार ना डाले मुझे
मौत से भी ज़्यादा क़ातिल 
हैं, आज़माइशें तेरी
 
है आरज़ू तो तोड़कर ज़ंजीरें, 
ज़माने की आ मिल
रुसवा करती हैं मुझे, 
सरपरस्तों से गुज़ारिशें तेरी
 
होने लगा है शक, तुझपे 
और तेरी चाहत पर मुझे
कहता है मोहब्बत तू जिसे, 
ना हो कहीं साज़िशें तेरी
 
उल्फ़त के वेश में नफ़रत, 
कसर यही थी बाक़ी ‘सपना’ 
आ गया सच सामने नज़र के, 
हुई फीकी नुमाइशें तेरी

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